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15 साल की उम्र में लक्ष्मी अग्रवाल पर हुआ था एसिड अटैक, चेहरा पिघला मगर हौसला नहीं
बड़े पर्दे पर जल्द ही दीपिका पादुकोण छपाक फिल्म लेकर आ रही हैं और जिसमें वो लक्ष्मी अग्रवाल का किरदार निभाएंगी। इस समय सबकी जुबान पर लक्ष्मी अग्रवाल का नाम है और हर कोई उसकी कहानी जानना चाहता है। बॉलीवुड की इस फिल्म की मदद से देश ये जान पाएगा कि लक्ष्मी अग्रवाल एसिड अटैक सर्वाइवर नहीं बल्कि एक फाइटर है।
साल 2016 में लक्ष्मी से इंटरव्यू के सिलसिले में दिल्ली के निर्माण विहार में मिलने का मौका मिला था। 'ऑल इंडिया रेडियो' के एक खास प्रोग्राम के लिए किए उस साक्षात्कार की मदद से मुझे एक ऐसी लड़की को जानने का मौका मिला जो बुरे दौर से निकलने का हौसला रखती है और वर्तमान को जीभर कर जीना चाहती है।
आज इस लेख के माध्यम से आप भी लक्ष्मी अग्रवाल के साथ हुई उस घटना की भयावहता को महसूस कर पाएंगे जिसे उसने अपनी दृढ़ इच्छाशक्ति से हराने में कोई कसर नहीं छोड़ी।
'ना' करने पर हुआ था एसिड हमला
लक्ष्मी के लिए उसकी जिंदगी से जुड़े उन काले पन्नों को बार बार पलटना आसान नहीं होगा। लक्ष्मी के साथ यह घटना साल 2005 में हुई थी जब वो सिर्फ 15 साल की थी। लक्ष्मी का कसूर सिर्फ इतना था कि उसने अपने से लगभग दोगुने उम्र के शख्स को शादी के प्रस्ताव के जवाब में ना कह दिया था।
32 साल के उस आदमी के खोखले आत्मसम्मान पर लक्ष्मी का ये ना इतना नागवार गुजरा कि उसने इसका बदला लेने का फैसला कर लिया। उसकी घिनौनी मानसिकता का नतीजा था कि उसने लक्ष्मी को दिल्ली की चहल पहल वाले सड़क पर एसिड से नहला दिया। तेजाब की जलन के बीच उसे तड़पता हुआ छोड़ दिया। एसिड हमले से लक्ष्मी का चेहरा सूज गया जिसकी वजह से उसकी आंखे धसने लग गईं। एसिड के उस भयानक दर्द के कारण उसके कदम भी लड़खड़ा रहे थे।
एसिड से जल गई थी पिता की कमीज
लक्ष्मी को किसी तरह अस्पताल पहुंचाया गया था जहां उस पर पानी की तकरीबन बीस बाल्टियां डाली गई थीं। उस एसिड का असर इतना ज्यादा था कि जब वो अपने पिता के गले मिलीं तो उनकी कमीज ही जल गई। लक्ष्मी के सामने उसकी त्वचा पिघलते हुए प्लास्टिक की तरह टपक रही थी।
कोई दूसरी लड़की ना बने लक्ष्मी अग्रवाल
इस हमले ने लक्ष्मी को पूरी तरह से हिलाकर रख दिया था। वो इस क्रूर घटना के तनाव से बाहर निकलने में कामयाब रहीं और अब वो स्टॉप सेल एसिड की संस्थापक हैं। ये एसिड की बिक्री और एसिड से जुड़ी हिंसा के खिलाफ एक अभियान है। उन्होंने अंधेरे कोने में बैठकर मलाल करने के बजाय ये सुनिश्चित करना ज्यादा जरूरी समझा कि देश में किसी भी लड़की के साथ ऐसी घटना ना हो।
टीवी पर आने का था सपना
लक्ष्मी भी दूसरी लड़कियों की तरह आगे बढ़ने का सपना देखती है। वो हमेशा से टीवी पर आना चाहती थी मगर वो खुद कहती हैं कि "मालूम नहीं था कि बचपन का ये शौक इतनी जल्दी और ऐसे पूरा होगा।"
आलोक बने एक मजबूत स्तंभ
लक्ष्मी के अंदर का आत्मविश्वास और जज्बा आज दूसरी लड़कियों को हौसला देता है और इसका कुछ हद तक श्रेय आलोक को जाता है। दरअसल आलोक दीक्षित एसिड हमले की शिकार हुई लड़कियों के लिए स्टॉप एसिड अटैक के नाम से मुहिम चलाते हैं और उसी सिलसिले में उनकी मुलाकात लक्ष्मी से हुई थी। लक्ष्मी के अंदर कभी ना हार मानने वाला जज्बा देखकर आलोक काफी प्रभावित हुए। आलोक और लक्ष्मी की एक बेटी भी है जिसका नाम पीहू है।
राष्ट्रीय और अंतराष्ट्रीय मंच पर मिल चुका है सम्मान
रूढ़िवादी सोच को दरकिनार करते हुए लक्ष्मी हर सवाल का जवाब बनकर सामने आई है। लक्ष्मी को महिला और बाल विकास मंत्रालय, पेयजल और स्वच्छता मंत्रालय और उनके अभियान स्टॉप सेल एसिड के लिए यूनिसेफ से 'अंतर्राष्ट्रीय महिला सशक्तिकरण पुरस्कार 2019' मिल चुका है। इतना ही नहीं, लक्ष्मी को यूएस फर्स्ट लेडी मिशेल ओबामा द्वारा साल 2014 का अंतर्राष्ट्रीय महिला सम्मान पुरस्कार भी मिल चुका है।
पहले लक्ष्मी अग्रवाल अकेली थीं मगर आज उसके साथ पूरा कारवां चलने के लिए तैयार खड़ा है और उसके जज़्बे को सलाम करता है।