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प्रेग्‍नेंसी में जेस्‍टेशनल डायबिटीज हो सकती है मां-शिशु के लिए खतरनाक!

गर्भ के दौरान होने वाली डायबिटीज को जेस्टेशनल डायबिटीज़ कहा जाता है। यह डायबिटीज गर्भ में पल रहे बच्चे के विकास में बाधा डालती है।

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रेग्‍नेंसी के दौरान होने वाली डायबिटीज को जेस्‍टेशनल डायबिटीज कहा जाता है। ये तब होती है, जब गर्भावस्था के दौरान आपके खून में शर्करा (ग्लूकोस) की मात्रा काफी ज्यादा हो जाती है।

यह डायबिटीज गर्भ में पल रहे बच्चे के विकास में बाधा डालती है। ये डायबिटीज मां और बच्‍चें दोनों को ही खासा नुकसान पहुंचाती है। गर्भ में डायबिटीज क्या होती है, गर्भवती महिलाएं इससे कैसे बच सकती हैं, इसके कारण क्या होते हैं, इत्यादि बातों को जानना बेहद जरूरी है। आइए जानें गर्भ में डायबिटीज के बारे में।

ये है लक्षण

ये है लक्षण

प्रेग्‍नेंसी में मधुमेह में अक्सर ऐसे लक्षण नहीं होते हैं, जिन्हें आसानी से पहचान लिया जाए, लेकिन इन लक्षणों से आप अंदाजा लगा सकते है:

थकान

मुंह सूखना

अधिक प्यास लगना

अत्याधिक पेशाब आना

थ्रश जैसे कुछ संक्रमण बार-बार होना

धुंधला दिखाई देना

Pregnancy: NEVER Ignore these Symptoms, गर्भावस्था के दौरान इन लक्षणों को नज़रअंदाज़ ना करें | Boldsky
भविष्‍य में हो सकता है डायबिटीज

भविष्‍य में हो सकता है डायबिटीज

आज के समय में डायबिटीज किसी को भी हो सकती है। लेकिन गर्भावस्था में डायबिटीज होने की आशंका अधिक रहती है। आंकड़ों के मुताबिक, जिन महिलाओं को जेस्टेशनल डायबिटीज हो जाती है उनमें से 2 में से 1 महिला को भविष्य में डायबिटीज का खतरा और ज्‍यादा बढ़ जाता है।

गर्भावस्‍था के दौरान कभी भी हो सकता है

गर्भावस्‍था के दौरान कभी भी हो सकता है

गर्भावस्था के दौरान महिला का वजन अधिक होने से भी जेस्टेशनल डायबिटीज का खतरा बढ़ जाता है। आमतौर पर गर्भधारण के कुछ समय बाद ही यानी शुरूआती दिनों में ही जेस्टेशनल डायबिटीज का खतरा अधिक रहता है लेकिन इसका ये अर्थ नहीं कि आपको गर्भावस्था के अंतिम दिनों में इसका खतरा ना हो।

हार्मोन में परिवर्तन के कारण

हार्मोन में परिवर्तन के कारण

ऐसा नहीं कि गर्भावस्था के दौरान ही डायबिटीज हो, कई बार गर्भधारण से पहले ही आपको डायबिटीज हो जाती है लेकिन नियमित जांच ना कराने से आपको पता नहीं चल पाता, जिससे गर्भधारण के बाद ये और अधिक बढ़ जाती है। गर्भावस्था के दौरान डायबिटीज होने का एक मुख्य कारण है कि गर्भधारण के बाद कई हार्मोंस जैसे प्रोजेस्टेरोन, प्लासेंटल लेक्टोजन इत्यादि निकलते हैं जो कि शरीर द्वारा निर्मित इंसुलिन के विपरीत काम करना शुरू कर देते हैं जिससे डायबिटीज के होने की आशंका बढ़ जाती है।

आनुवांशिक डायबिटीज की वजह से भी

आनुवांशिक डायबिटीज की वजह से भी

ब्लड शुगर का बहुत अधिक बढ़ना या फिर अनियं‍त्रि‍त होने से भी जेस्टेशनल डायबिटीज होने का खतरा बढ़ जाता है।

जैसा कि आप जानते ही हैं डायबिटीज आनुवांशिक भी होती है, ऐसे में जो महिलाएं पहली बार गर्भ धारण करती हैं उनको भी गर्भ में डायबिटीज होने का खतरा रहता है। जेस्टेशनल डायबिटीज कुछ समय के लिए होती है यानी गर्भावस्था के बाद ये अपने आप खत्म हो जाती है।

यूरिन टेस्‍ट से मालूम चलता है

यूरिन टेस्‍ट से मालूम चलता है

प्रेग्‍नेंसी के दौरान यूरिन टेस्‍ट में शर्करा का स्तर देखा जाता है। अगर, आपका यह स्तर सामान्य से ज्यादा है, तो यह जेस्टेशनल डायबिटीज होने का संकेत हो सकता है।

ऐसे में आपको फास्टिंग प्लाज्मा ग्लूकोस टेस्ट कराने के लिए कहा जा सकता है। इस जांच के लिए सवेरे सबसे पहले एक बार खाली पेट आपके रक्त का नमूना लिया जाएगा।

अगर, आपके पेशाब की जांच में शुगर का स्तर बढ़ा हुआ पाया जाता है, तो डॉक्टर आपको ग्लूकोस टोलरेंस टेस्ट (जीटीटी) करावाने के लिए कहेंगी। यह सामान्यत: गर्भावस्था के 24 और 28 सप्ताह के बीच कराया जाता है।

डॉक्‍टर की सलाह

डॉक्‍टर की सलाह

गर्भावस्था के दौरान डायबिटीज से बचने के लिए आपको शुगर का सेवन सीमित मात्रा में करना चाहिए और संतुलित खानपान लेना चाहिए। गर्भावस्था के दौरान डॉक्टर की सलाह पर प्रतिदिन व्यायाम करना चाहिए और सक्रिय रहना चाहिए।

English summary

Gestational Diabetes During Pregnancy

Gestational diabetes is first diagnosed during pregnancy. Like type 1 and type 2 diabetes, gestational diabetes causes blood sugar levels to become too high.
Story first published: Tuesday, August 8, 2017, 11:24 [IST]
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