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पढ़ें राजा परीक्षित और कलियुग की ऐसी कहानी, जिसे कोई नहीं जानता

महाभारत के युद्ध को नौ दिन बीत चुके थे लेकिन किसी भी निर्दोष की हत्या नहीं हुई थी और तभी से द्वापर युग समाप्त हो गया। क्योंकि जैसे जैसे दिन बीतें गएँ कई निर्दोषों की हत्या हुई और इसी से कलयुग शुरू हुआ

By Super Admin
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कुरुक्षेत्र के मैदान में हुआ महाभारत के युद्ध के ख़त्म होने पर द्वापर युग भी समाप्त हो गया था। अधर्म बढ़ने लगा था और यही देखते हुए युधिष्ठिर ने राजा का सिंहासन परीक्षित को सौंपा और खुद अपने चारों भाईयों और द्रौपदी के साथ हिमालय पर चले गए।

लेकिन क्या आपको पता है कि कलयुग की शुरुवात द्वापर युग के दौरान ही शुरू हो गयी थी। ऐसी ही एक कहानी है परीक्षित और कलयुग की।

महाभारत के युद्ध को नौ दिन बीत चुके थे लेकिन किसी भी निर्दोष की हत्या नहीं हुई थी और तभी से द्वापर युग समाप्त हो गया। क्योंकि जैसे जैसे दिन बीतें गएँ कई निर्दोषों की हत्या हुई और इसी से कलयुग शुरू हुआ।

कलियुगा की शुरुआत
भगवान कृष्ण की मौजूदगी के कारण, कलियुग पूरी दुनिया में फैल नहीं सका और सिर्फ युद्ध के मैदान तक ही सीमित रहा। लेकिन कुरु वंश के विनाश और अभिमन्यु के पुत्र प्रतीक्षित की हत्या के बाद कलियुगा की शुरुआत हो गयी थी।

 कृष्णा ने उत्तरा के बच्चे को बचाया

कृष्णा ने उत्तरा के बच्चे को बचाया

युद्ध के बाद अशवथामा ने पांडवों के वंश को ख़त्म करने के लिए उत्तरा के गर्भ पर ब्रह्मस्त्र से वार किया जिससे गर्भ में ही प्रतीक्षित की मौत हो जाए। लेकिन श्री कृष्ण ने गर्भ में प्रवेश करके भ्रूण को ब्रह्मस्त्र के वेघ से बचा लिया। जिससे प्रतीक्षित को जीवन मिल गया।

भगवान कृष्ण की मौत

भगवान कृष्ण की मौत

युद्ध के कुछ समय बाद जब पांडवों ने भगवान कृष्ण की मृत्यु के बारे में सुना तो उन्होंने सब कुछ त्याग दिया और द्रौपदी के साथ हिमालय चले गए। और अपने पोते प्रतीक्षित को उत्तराधिकारी बना दिया।

 कलयुग की शुरुवात

कलयुग की शुरुवात

अपने दादाजी यानि अर्जुन के द्वारा बताये गए कलयुग की शुरुवात के बारे में, जिससे प्रतीक्षित अपने साम्राज्य को इसके लिए तैयार कर सके। ऐसा कहा गया था कि जब कलयुग ने विश्वासघात, वासना, लालच और बुराई के साथ उनके साम्राज्य की सीमाओं पर दस्तक दी तो वे उसको मिटाने के लिए तैयार थे। प्रतीक्षित ने इन सारी बुराइयों का डाट कर सामना किया और उनके आत्मसमर्पण करने के बाद ब्रह्मा के नियमों का पालन करने को कहा।

 युग

युग

तब कलयुग ने कहा कि ब्रह्मा ने 4 युगों का निर्माण किया जो हैं सत्य, त्रेता, द्वापर और कलयुग हैं। जिसमें सत्य युग ने 17,28,000 साल तक राज्य किया, त्रेता युग ने 12, 9 6,000 साल और द्वापर युग के लिए 8,64,000 वर्षों तक अपना शासन को बनाये रखा। और अब जब मेरी बारी आयी है 4,32,000 साल तक राज करने की तो तुम मुझसे कहा रहे हो की में तुम्हारे साम्राज्य से बाहर चला जाऊं।

कहाँ कहाँ कलयुग वास करेगा

कहाँ कहाँ कलयुग वास करेगा

अंत में प्रतीक्षित को यह आभास हुआ कि वह ब्रह्मा जी के खिलाफ नहीं जा सकता है और प्रतीक्षित ने कलयुग को यह चेतावनी दे कर छोड़ दिया कि वह तब तक मानव जाति को खत्म नहीं करेगा जब तक उसका समय नहीं पूरा हो जाता। इसके साथ यह भी कहा कि वह सिर्फ इन्हीं 5 जगह पर रहेगा। और जो लोग इन जगहों पर जाएंगे वे कलयुग के शिकार होंगे।

 जिन स्थानों पर जहां शराब परोसी जाती है

जिन स्थानों पर जहां शराब परोसी जाती है

तुम्हें सिर्फ यहाँ रहना होगा और उनका स्वागत करना होगा जो अपनी मर्ज़ी से यहाँ आएंगे। लेकिन तुम कभी किसी को भी विवश नहीं करोगें।

वेश्यालय

वेश्यालय

जो लोग इस जगह पर आएंगे और अपनी गरिमा, विवेक और मानवता को छोड़ देंगे। उन्ही को तुम नष्ट करना।

पशुवध गृह

पशुवध गृह

जिस जगह पर मनुष्य अपनी मानवता को छोड़ कर। अपने अंदर बुराई को सामने लाके निर्दोष जानवरों और मनुष्यों की हत्या करेगा। वहां तुम वहाँ वास करना।

जुआ खाना

जुआ खाना

जो लोग अपना पूरा जीवन जुएं में गुज़ार देते हैं। उनकी ज़िन्दगी बर्बाद करने का तुम्हें पूरा हक़ है।

 सोना

सोना

यह सब सुनने के बाद कलयुग ने कहा हे राजा, जो लोग इन जगहों पर जाते हैं वे तो पहले से पापी हैं। लेकिन कैसे में अच्छे लोगों को खत्म करूँगा क्योंकि उनके पास लालच का हथियार रहेगा। तब राजा प्रतीक्षित ने कहा कि लालच का सबसे बड़ा हथियार है सोना तो तुम उसे नष्ट कर दो।

प्रतीक्षित की मृत्यु

प्रतीक्षित की मृत्यु

कलयुग यह जानता था कि उसने पूरे दुनिया में अपना राजस्व फैला दिया है लेकिन प्रतीक्षित के राज्य पर अभी उसका कब्ज़ा नहीं हुआ है। यह तब तक नहीं हो सकता जब तक प्रतीक्षित ज़िंदा हैं। इसलिए कलयुग उसके सोने के मुकुट में प्रवेश किया और उसका मानसिक संतुलन खराब कर दिया। जिसके बाद प्रतीक्षित ने एक साधु का अपमान किया। जो आगे चल कर उसकी मौत का कारण बना।


English summary

Story of King Parikshit and Kaliyuga

There are several tales of ancient mythology scriptures, which are yet to be explored; one of them is the story of King Parikshit and Kaliyuga.
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