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क्यों मनाया जाता है गोवर्धन पूजा का पर्व, जानिए महत्व और कहानी
दिवाली की अगली सुबह गोवर्धन पूजा की होती है। इस दिन का भी बहुत बड़ा महत्व है। इस दिन भी दिवाली की खुशियां मनाई जाती हैं। दिवाली की अगली सुबह गोवर्धन पूजा की जाती है। लोग इसे अन्नकूट के नाम से भी जानते हैं। गोवर्धन पूजा में गोधन यानी गायों की पूजा की जाती है।
इस बार गोवर्धन पूजा में ये है शुभ मुहूर्त और पूजा विधि
गाय को देवी लक्ष्मी का स्वरूप भी कहा गया है। इस दिन बलि पूजा, अन्न कूट, मार्गपाली आदि उत्सव भी सम्पन्न होते है। अन्नकूट या गोवर्धन पूजा भगवान कृष्ण के अवतार के बाद द्वापर युग से प्रारम्भ हुई। कार्तिक शुक्ल पक्ष प्रतिपदा के दिन गोवर्धन की पूजा की जाती है| इस वर्ष यह पर्व 20 अक्टूबर दिन शुक्रवार को मनाया जा रहा है।
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यह पर्व उत्तर भारत में विशेषकर मथुरा क्षेत्र में बहुत ही धूम-धाम और उल्लास के साथ मनाया जाता है| ये भगवान कृष्ण के लिए मनाया जाता है। आइए जानते है क्या है गोवर्धन पूजा का महत्व.....
गोवर्धन पूजा की कथा
गोवर्धन पूजा संबंध भगवान कृष्ण से है और इसकी शुरुआत भी द्वापर युग में ही हो गई थी। लेकिन इससे पहले ब्रजवासी इंद्र की पूजा करते थे। तभी भगवान ने ये बताया कि आप लोग इंद्र की पूजा करते है इससे कोई लाभ प्राप्त नहीं होता है। इसलिए आपको गौ धन को समर्पित गोवर्धन पर्वत पर जाकर गोवर्धन पूजा करनी चाहिए।
इंद्र ने किया डराने का प्रयास
भगवान कृष्ण की बात मानकर लोगों ने इंद्र की पूजा करनी बंद कर दी और गोवर्धन पूजा करने लगे। तभी इस बात से क्रोधित होकर इंद्र ने भारी बारिस की और लोगो को डराने का प्रयास करने लगे।
कृष्ण ने उंगली पर उठा लिया गोवर्धन पर्वत
इंद्र ने भारी बारिस करके पूरे गोवर्धन पर्वत को जलमग्न कर दिया और लोग प्राण बचाने के लिए भगवान से प्रार्थना करने लगे। कृष्ण ने देखा तो वो इंद्र की मूर्खता पर मुस्कुराए और ब्रजवासियों को बचाने के लिए पूरा गोवर्धन पर्वत अपनी एक उंगली पर उठा लिया।
सात दिन तक लोग रहे गोवर्धन पर्वत की शरण में
भारी बारिस का प्रकोप लगातार 7 दिन तक चलता रहा और भगवान कृष्ण ब्रजवासियों को उसी गोवर्धन पर्वत के नीचे छाता बनाकर बचाते रहे। सुदर्शन चक्र के प्रभाव से ब्रजवासियों पर एक जल की बूँद भी नही पड़ी। ब्रह्या जी ने इन्द्र को बताया कि पृथ्वी पर भगवना विष्णु ने कृष्ण के रूप में जन्म लिया है तुम उनसे लड़ रहे हो। इस बात को जानकर इंद्र बहुत पछताए और भगवान से क्षमा मांगी।
कृष्ण ने दी अन्नकूट का पर्व मनाने की आज्ञा
इस बात के खत्म होने के बाद भगवान कृष्ण ने सभी ब्रजवासियों को सातवें दिन गोवर्धन पर्वत को नीचे रखकर ब्रजवासियो से आज्ञा दी कि अब से प्रतिवर्ष गोवर्धन पूजा कर अन्नकूट का पर्व उल्लास के साथ मनाओ। तब से लेकर आज तक गोवर्धन पूजा और अन्नकूट हर घर में मनाया जाता है।
गोवर्धन पूजा का महत्व
ऐसा माना जाता है कि ये उत्सव खुशी का उत्सव है और इस दिन जो दुखी रहेगा तो वो वर्ष भर दुखी ही रहेगा। इस दिन खुश रहने वाला व्यक्ति वर्ष भर खुश रहेगा। इसलिए इस गोवर्धन पूजा करना बहुत ही जरूरी है।