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क्यों भगवान शिव को पसंद है सावन का महीना
28 जुलाई यानि श्रावण शनिवार से श्रावण के महीने की शुरुआत हो चुकी है और इस महीने का समापन रक्षाबंधन के दिन 26 अगस्त को होगा। श्रावण के महीने में कई त्योहार आते हैं और ये पूरा महीना ही भगवान शिव को समर्पित होता है।
मान्यता है कि भगवान शिव की पूजा करने वाली महिलाओं को अखंड सौभाग्य का वरदान मिलता है और जिन कन्याओं का विवाह नहीं हो पा रहा है उन्हें भगवान शिव की कृपा से मनचाहे वर की प्राप्ति होती है। पुरुष जीवन में सफलता और सुख पाने हेतु शिव की आराधना करते हैं। इसके अलावा श्रावण के महीने में भगवान शिव की पूजा करने के कई और भी लाभ हैं।
श्रावण मास में शिव आराधना के लाभ
अन्य दिनों में भी भगवान शिव की पूजा करनी चाहिए लेकिन श्रावण मास में शिव आराधना करने से बाकी दिनों के मुकाबले 108 गुना ज्यादा लाभ मिलता है।
ग्रह दोष होते हैं दूर
जन्मकुंडली में कुछ अशुभ ग्रहों के कारण व्यक्ति को परेशानियों का सामना करना पड़ता है। अगर आप किसी ग्रह दोष से पीडित हैं तो भगवान शिव की उपासना करें। जैसे कि शनि देव न्याय के देवता है और शिव की पूजा करने से शनि देव की कृपा भी मिलती है। सभी देवी-देवताओं में शिव जल्दी प्रसन्न होते हैं।
शिव हमारी रक्षा करते हैं
देवताओं और असुरों के बीच हुए समुद्र मंथन के दौरान समुद्र से हलाहल नामक विष निकला था। ये विष पूरे संसार को मिटा सकता है और इससे सृष्टि की रक्षा करने के लिए भगवान शिव ने इस विष का पान किया। ये घटना श्रावण मास में ही हुई थी इसलिए कहा जाता है कि इस महीने में भोलेनाथ अपने भक्तों की रक्षा करते हैं।
मनचाहे वर की प्राप्ति
भगवान शिव को आदर्श पुरुष की उपाधि दी गई है। शिव पुराण के अनुसार अगर कोई कन्या भगवान शिव की पूजा करती है तो उसे मनचाहे वर की प्राप्ति होती है। इसके लिए वैवाहिक जीवन को सुखमय बनाने के लिए भी विवाहित स्त्रियां शिव की पूजा करती हैं।
सभी दोष दूर होते हैं
इस महीने में कालसर्प दोष निवारण पूजा, पितृ दोष निवारण पूजा, मंगल दोष निवारण पूजा की जाती हैं। भगवान शिव की कृपा से जन्मकुंडली के सभी दोष दूर हो जाते हैं।
उत्तम स्वास्थ्य की प्राप्ति
कहा जाता है महामृत्युंजय मंत्र के जाप से भगवान शिव अकाल मृत्यु से बचाते हैं। शिव शक्ति का प्रतीक रुद्राक्ष धारण करने से भी कई रोगों से मुक्ति मिलती है।
मोक्ष की प्राप्ति
हिंदू धर्म में शिव को संहारक कहा गया है। इस बारे में अन्य मान्यता यह है कि शिव आराधना करने वाले व्यक्ति को मृत्यु के पश्चात् मोक्ष की प्राप्ति होती है।
ज्योर्तिलिंग की पूजा के बराबर ही है शिव पूजा
भगवान शिव के 12 तीर्थधाम हैं और इन्हें एकसाथ ज्योर्तिलिंग कहा जाता है। मान्यता है कि इन ज्योर्तिलिंग के दर्शन से मनुष्य की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। श्रावण मास के महीने में शिव की पूजा करने से इन ज्योर्तिलिंगों के दर्शन करने से भी ज्यादा लाभ मिलता है।
सुख का आगमन
भगवान शिव को बड़ी आसानी से प्रसन्न कर सकते हैं। बेल पत्र शिव को बहुत पसंद है। भगवान शिव को उनकी प्रिय चीज़ें अर्पित करने से विवाह में सुख आता है साथ ही संतान और परिवार में खुशियां बनी रहती हैं।
पति की लंबी आयु
किवदंती है कि जो सुहागिन स्त्री श्रावण मास में खासतौर पर श्रावण सोमवार के दिन भगवान शिव का व्रत रखती है उसके पति की दीर्घायु होती है और उसकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। इसके अलावा वैवाहिक जीवन भी सुखमय बनता है।
शनि का अशुभ प्रभाव होता है दूर
शनिवार के दिन रुद्राभिषेकम करने से जातक की कुंडली के शनि दोष दूर हो जाते हैं। श्रावण महीने के शनिवार को तेलाभिषेकम भी किया जाता है क्योंकि स्वयं शनि देव शिवभक्त हैं।