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स्तनपान कराते समय ये समस्याएं करती है मां और शिशु को परेशान
मां बनना कोई आसान बात नहीं है। नवजात शिशु को संभालने के दौरान मां को कई तरह की मुश्किलों और चुनौतियों से होकर गुज़रना पड़ता है। मां का सबसे महत्वपूर्ण कार्य होता है शिशु को स्तनपान करवाना।
स्तनपान के साथ कई उतार-चढ़ाव भी आते हैं। कुछ लोगों के लिए ये आसान होता है तो कुछ महिलाओं को कई तरह की मुश्किलें आती हैं।
आइए जानते हैं कि स्तनपान के दौरान किस तरह की समस्याएं आती हैं और उन्हें किस तरह की सावधानियां बरतनी चाहिए।
स्तनपान
में
आने
वाली
सामान्य
समस्याएं
और
उनका
निदान
अगर आप पहली बार मां बन रही हैं तो आपको स्तनपान करवाने के सही तरीके के बारे में पता कर लेना चाहिए। नीचे हम स्तनपान के दौरान आने वाली कुछ मुश्किलों के बारे में बता रहे हैं। इन समस्याओं के बारे में पहले से जानकारी रखना बेहतर होगा। इसके अलावा ये भी जान लें कि स्तनपान में आने वाली समस्याओं से आपको अकेले ही नहीं जूझना है बल्कि इसमें आपके नन्हे शिशु को भी तकलीफ होगी।
प्लग्ड मिल्क डक्ट्स
ब्रेस्ट से नियमित दूध ना निकलने की वजह से ब्लॉक डक्ट बनने लगते हैं। ब्रेस्ट में गांठ बनने का मतलब है कि दूध जम रहा है। इसके ऊपर त्वचा पर लालपन भी आ सकता है। इसका कारण अनियमित स्तनपान हो सकता है। तंग कपड़ों की वजह से भी डक्ट ब्लॉक या प्लग्ड हो सकते हैं। ब्रेस्ट के किसी एक हिस्से में ज्यादा दूध होने की वजह से भी डक्ट ब्लॉक हो सकते हैं।
ब्लॉक डक्ट का ईलाज करने के लिए सबसे पहले इसके कारण का पता लगाना जरूरी है। इसके अलावा प्रभावित ब्रेस्ट से दूध को हटाना होता है। नियमित स्तनपान करवाने से ऐसा हो सकता है। गांठ के ऊपर हल्की मालिश से भी स्तनपान के दौरान होने वाली असहजता को दूर किया जा सकता है। प्रभावित हिस्से पर हल्के से दबाएं।
स्तन
में
भराव
प्रसव के बाद जब दूध आना शुरु होता है तो स्तनों का भराव होना आम बात है। आमतौर पर ऐसा प्रसव के 3 से 5 दिन बाद होता है। स्तन गर्म, सख्त या भारी लगने लगते हैं। कभी-कभी स्तन ढीले भी लगने लगते हैं। हालांकि, दूध ठीक से आता है या कभी-कभी दूध लीक भी होने लगता है। ये सामान्य होता है।
इस समस्या से बचने के लिए शिशु को नियमित स्तनपान करवाएं। दूध बाहर निकल जाएगा और आपके स्तन हल्के हो जाएंगें। स्तनपान के बाद स्तन हल्के हो जाते हैं। शिशु की जरूरत के अनुसार दूध का उत्पादन एडजस्ट हो जाता है और आपके स्तन सहज हो जाते हैं।
ब्रेस्ट हाइपेरेमिया
इसमें स्तनों में बहुत दर्द रहता है। आसपास की त्वचा सूज जाती है और चमक और लाल होने लगती है और दूध का स्राव भी प्रभावित होता है। प्रसव के बाद के शुरुआती दिनों में दूा के पूरी तरह से ना निकलने पर ये समस्या आती है। ब्रेस्ट में रक्तस्राव के बढ़ने की वजह से स्तनों में उसका जमाव भी हो सकता है। मां को 24 घंटे तक बुखार भी रह सकता है। निप्पल फ्लैट और सख्त भी हो सकते हैं। ऐसे में बच्चे को दूध लेने में दिक्कत होगी।
स्तनों को आराम देने और इस समस्या से निजात पाने के लिए स्तनपान करवाती रहें। अगर शिशु को दूध लेने में दिक्कत आ रही है तो जब तक स्तन मुलायम ना हो जाएं तब तक ब्रेस्ट पंप का इस्तेमाल करें। गर्म सिकाई से आपको राहत मिलेगी। स्तनपान के बाद ठंडी सिकाई कर सकती हैं।
ब्रेस्ट में सूजन
स्तन में सूजन के साथ लालपन या दर्द होना मास्टिटिस की ओर इशारा करता है। इसमें एक स्तन ही प्रभावित होता है। इसकी वजह से बुखार भी हो सकता है। अमूमन ऐसा प्रसव के बाद शुरुआती तीन हफ्तों में होता है। स्तन में मास्टिटिस या सूजन का प्रमुख कारण स्तनपान के बीच अधिक समय का अंतराल होता है। इसमें दूध स्तन में ही रह जाता है। कभी’कभी महिलाओं को निप्पल फिशर भी संक्रमित हो जाते हैं। इसे संक्रमित मास्टिटिस कहते हैं।
इससे बचने के लिए स्तनपान के बीच ज्यादा समय का अंतराल ना रखें। गर्म सिकाई करें। ज्यादा परेशानी हो तो एनालजेसिक्स ले सकती हैं लेकिन डॉक्टर की सलाद के बाद।
स्तन में फोड़ा बनना
अगर आपके स्तन में सूजन जैसी कोई गांठ बन रही है तो ये स्तन में फोड़ा हो सकता है। सूजन वाले हिस्से में तरल जैसा महसूस होगा। इसके आसपास वाले हिस्से का रंग भी उड़ सकता है। अगर मास्टिटिस का ध्यान ना रखा जाए तो ये समस्या हो सकती है।
फिशुअर्ड निप्पल
इसके अंर्तगत जब शिशु दूध पीता है तो निप्पल में बहुत दर्द होता है। निप्पल के पास फिशुअर नज़र आते हैं। शिशु के दूध खींचने पर निप्पल में दर्द होता है। जब शिशु निप्पल को अंदर या बाहर करता है तब ऐसा दर्द होता है। फंगस कैंडिडा एल्बिकंस के साथ संक्रमण हो सकता है। अगर मां को ये समस्या है तो शिशु का भी ईलाज करने की जरूरत होती है।
स्तन में अपर्याप्त दूध आना
कभी-कभी महिलाओं के स्तन में पर्याप्त दूध नहीं आता है। यह जरूरी नहीं है शिशु को स्तन का दूध कम दिया जाए। यह सिर्फ मां की धारणा पर निर्भर करता है। कई बार कम दूध आने की वजह स्तनपान की गलत पोजीशन या तरीका होता है। कम वजन या कम पेशाब आने से आप इसका पता लगा सकते हैं।
स्तनों में कम दूध आने की वजन अनियमित या कम स्तनपान करवाना भी होता है। अगर सही मात्रा में दूध नहीं आ रहा है तो डॉक्टर से संपर्क करें। मां को विभिन्न पोजीशन और तरीके से स्तनपान करवाना चाहिए। चैक करें, कहीं शिशु बीमार तो नहीं है।
निप्पल का उल्टा होना
कई बार शिशु को दूध निकालने में दिक्कत होती है। ऐसा इसलिए हो सकता है क्योंकि निप्पल बड़े, लंबे या फ्लैट हों। फ्लैट निप्पल लंबे होते हैं। इससे बच्चे दूध निकाल सकते हैं। उल्टे निप्पल लंबे नहीं होते हैं और खींचने पर खिंचते नहीं हैं। इससे शिशु को दूध निकालने में दिक्कत आती है। प्रसव के बाद जितना जल्दी और जितना ज्यादा हो सके शिशु को स्तनपान करवाएं। स्तनपान करवाते समय ध्यान रखें कि बच्चा उसमें सहज हो। अलग-अगल पोजीशन से स्तनपान करवाएं। स्तन से शिशु के मुंह में सीधा दूध जाना चाहिए। बोतल से दूध ना पिलाएं। इससे बच्चे के विकास पर असर पड़ सकता है।
स्तनपान करवाना मां और बच्चे दोनों की सेहत के लिए बहुत जरूरी होता है लेकिन इसके लिए मां को धैर्य रखना पड़ता है। आपको पता होना चाहिए कि कितने समय के अंतराल में बच्चे को दूध की जरूरत है। इससे मां और शिशु के बीच रिश्ता मजबूत होता है।